Monday 27 July 2020

सरकार शिक्षा के निजीकरण को ऑनलाइन से बंद कर दे तो कैसा रहेगा ?

वर्तमान समय में भारत में शहर के हर गली मोहल्ले और अब तो गॉव तक में प्राइवेट स्कूल खुल गए है, ये शिक्षा और सिखाने के लिए नित नए नए प्रयोग करते है, कभी कम्प्यूटर के माध्यम से पढ़ाई का, कभी स्मार्ट क्लास के नाम से, कभी डायग्राम से, कभी ३ डायमेंशन से, लेकिन आखिर इनसब से हम विद्यार्थी में क्या विकसित करना चाहते है ? तर्क दिया जा सकता लेकिन वास्तव में हम एक विद्यार्थी की तार्किक क्षमता नष्ट कर रहे है, क्युकी बजाये वो सारे पहलू खुद सोचने के देख रहा है, जिससे उसके दिमाग में वो रिकॉर्ड हो रहा है, समझा नहीं जा रहा है।



अब लोकडाउन के समय में स्कूलों का लालच इस कदर बढ़ गया की ये ऑनलाइन क्लास का कॉन्सेप्ट ले आये, जबकि इनकी फीस स्लिप में इंफ़्रा चार्ज, डवलपमेंट चार्ज, कंप्यूटर चार्ज, वाटर चार्ज, कूलर चार्ज, पंखा चार्ज और भी न जाने कितने चार्ज होते थे, तो जब शिक्षा ऑनलाइन करायेगे तब, यानि की सभी स्कूल वालों को यह समझना चाहिए कि आज आप ऑनलाइन क्लासेस का बहुत ज्यादा समर्थन कर रहे हैं कहीं ऐसा ना हो कि यही आपके गले की हड्डी बन जाए। एक दिन ऐसा आएगा जब अंबानी, अदानी ,टाटा ,बिरला या कोई और सस्ती ऑनलाइन क्लास लांच कर दे तो सभी स्कूलों पर ताले लग जाएंगे ध्यान रखें एक दिन यह अवश्य आएगा।

क्युकी शिक्षा जरुरी है, कोई संदेह नहीं, लेकिन अगर ऑनलाइन है तो बाकि के चार्ज अभिभावक क्यों देगा, दूसरी बात आज सरकार की भी समझ में आ सकता है जैसे मुक्त विश्विद्यालय है वैसे ही मुक्त प्राइमरी स्कूल भी चल सकते है, इसके लिए सरकार को कोई खर्चा भी नहीं करना पड़ेगा, क्युकी बच्चा घर बैठे पढ़ेगा और एग्जाम भी देगा, यानि की शिक्षा के निजीकरण पर ताला है !

वर्तमान समय में स्कूल संचालकों को यह सब एक सुनहरा स्वप्न लग रहा है परन्तु यह आनेवाले कल की इनके लिये बहुत बड़ी चुनौती है । और बड़े व्यवसायिक घराने या फिर सरकार खुद इसे जल्द ही हाथों हाथ अपना लेंगे क्योंकि इसके लिये जरूरी संसाधन जुटाना उनके लिये कोई बड़ी बात नही है सरकार के लिए भी और व्यवसायिक घरानो के लिए।

हमने एक बार यही प्रश्न आजाद भारत पार्टी के संस्थापक लोकनायक मानवेन्द्र आज़ाद से पूछा तो उन्होंने कहा कि शिक्षा एक मौलिक अधिकार है, इसलिए वर्तमान की ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली के गुण दोष का आंकलन करके सरकार इसे सर्व सुलभ करा दे जिससे देश के किसी भी कौने में बैठे बच्चे निःशुल्क प्राप्त कर सके, भले ही इसमें समय लगेगा लेकिन ये सम्भव हो सकता है, क्युकी वर्तमान समय में सबके पास स्मार्ट फ़ोन है, अगर नहीं है, तो हर गॉव शहर में आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता है, उनको ये जिम्मेदारी दी जाय, क्युकी जब पार्टी के प्रचार में लाखो टीवी लग सकती है तो शिक्षा के लिए क्यों नहीं? देश में शिक्षा के विकास का इससे सुनहरा मौका सरकार को अभी तक नहीं मिला है।