एक ऐसे व्यक्ति के लिए बिहार क्या है जो १९५० में भारत से बहार चला गया हो, उसकी नजर में बिहार एक महँ शिक्षा का केंद्र है, सबसे ज्यादा प्रशासनिक सेवा में योग्य युवको को देने वाला राज्य है, कृषि प्रधान राज्य है, लोग उदार है और एक दूसरे के प्रति सहिष्णु है। [Siwan News in Hindi]
परन्तु ये विचार सिर्फ उसके ही होंगे जिसने बिहार के बारे में कोई खबर न सुनी हो, कर्पूरी ठाकुर के जाने का बाद या उसके पहले भी विहार का नाम जय प्रकाश नारायण के नाम से जाना जाता था लेकिन राजनीती में जब से लालू यादव और शारद यादव जैसे जातिवादी माफिया लोगो के कदम पड़े है, विहार एकदम से बीहड़ या वीरान हो गया। [Read More Nawada News]
यहाँ का किसान पलायन करने लगा उद्योग धंदे जातिवाद की भेंट चढ़ गए, किसानी खत्म होने के कगार पर आ गयी, लोगो का मुख्या व्यवसाय चोरी, लूट मारी डकैती और अपहरण फिरौती हो गया है, और इनके ऊपर लालू जैसे नेताओ का हाथ है।[Read More Darbhanga News in Hindi]
नितीश की सरकार आने से पहले न जाने कितने आईएएस अधिकारियो ने बिहार केडर लेने से मना कर दिया था, और बिहार की प्रशसनिक सेवा में चयनित होने के बाद भी प्रतियोगी बजाये ज्वाइन करने के दिल्ली या कानपूर में कोचिंग चलने लगे थे। [Read More Buxer News in Hindi]
हालांकि सत्ता से १० साल दूर रहने के बाद भी लालू की जातिवाद की जेड इतनी मजबूत थी की २०१५ के चुनाव में नितीश की पार्टी को लालू की पार्टी से काम सीट मिली, शायद नितीश को इस गठबंधन को करने के बाद पछतावा भी हो रहा होगा की जितनी इज्जत उसने १० सालो में कमाई थी शायद वो वोट बैंक लालू से गत बंधन के कारण हाथ से निकल गया। [Read More Gopalganj News in Hindi]
कुछ जातियों को राजनैतिक दलों ने अपने फायदे के लिए पिछड़ी, दलित अतिदलित महा दलित इत्यादि भागो में बाँट दिया है और ये पूरी तरह से अपने फायदे के लिए है, जब नितीश का लालू से गत बंधन हुआ तो अगड़ी जातियों का वोट २ भागो में बंट गया, एक भाग नितीश के साथ और दूसरा भाग बीजेपी के साथ। [Read more Saran News]
अगर आप चुनाव में वोटिंग का प्रतिशत देखेंगे तो पाएंगे की बीजेपी का वोट प्रतिशत सबसे ज्यादा है लेकिन सीट कम है, क्युकी अगड़ी जातीय झुण्ड में नहीं होती है, और गाओं में तो बिलकुल ही नहीं है, जबकि चुनाव में जीत गाओं के वोट से ही होती है, इसी कारन लालू की पार्टी को वोट भले ही कम मिले हो बीजेपी से पर जातिवाद ने सीट ज्यादा दिला दी। [Read More Begusarai News in Hindi]
परन्तु ये विचार सिर्फ उसके ही होंगे जिसने बिहार के बारे में कोई खबर न सुनी हो, कर्पूरी ठाकुर के जाने का बाद या उसके पहले भी विहार का नाम जय प्रकाश नारायण के नाम से जाना जाता था लेकिन राजनीती में जब से लालू यादव और शारद यादव जैसे जातिवादी माफिया लोगो के कदम पड़े है, विहार एकदम से बीहड़ या वीरान हो गया। [Read More Nawada News]
यहाँ का किसान पलायन करने लगा उद्योग धंदे जातिवाद की भेंट चढ़ गए, किसानी खत्म होने के कगार पर आ गयी, लोगो का मुख्या व्यवसाय चोरी, लूट मारी डकैती और अपहरण फिरौती हो गया है, और इनके ऊपर लालू जैसे नेताओ का हाथ है।[Read More Darbhanga News in Hindi]
नितीश की सरकार आने से पहले न जाने कितने आईएएस अधिकारियो ने बिहार केडर लेने से मना कर दिया था, और बिहार की प्रशसनिक सेवा में चयनित होने के बाद भी प्रतियोगी बजाये ज्वाइन करने के दिल्ली या कानपूर में कोचिंग चलने लगे थे। [Read More Buxer News in Hindi]
हालांकि सत्ता से १० साल दूर रहने के बाद भी लालू की जातिवाद की जेड इतनी मजबूत थी की २०१५ के चुनाव में नितीश की पार्टी को लालू की पार्टी से काम सीट मिली, शायद नितीश को इस गठबंधन को करने के बाद पछतावा भी हो रहा होगा की जितनी इज्जत उसने १० सालो में कमाई थी शायद वो वोट बैंक लालू से गत बंधन के कारण हाथ से निकल गया। [Read More Gopalganj News in Hindi]
कुछ जातियों को राजनैतिक दलों ने अपने फायदे के लिए पिछड़ी, दलित अतिदलित महा दलित इत्यादि भागो में बाँट दिया है और ये पूरी तरह से अपने फायदे के लिए है, जब नितीश का लालू से गत बंधन हुआ तो अगड़ी जातियों का वोट २ भागो में बंट गया, एक भाग नितीश के साथ और दूसरा भाग बीजेपी के साथ। [Read more Saran News]

अगर आप चुनाव में वोटिंग का प्रतिशत देखेंगे तो पाएंगे की बीजेपी का वोट प्रतिशत सबसे ज्यादा है लेकिन सीट कम है, क्युकी अगड़ी जातीय झुण्ड में नहीं होती है, और गाओं में तो बिलकुल ही नहीं है, जबकि चुनाव में जीत गाओं के वोट से ही होती है, इसी कारन लालू की पार्टी को वोट भले ही कम मिले हो बीजेपी से पर जातिवाद ने सीट ज्यादा दिला दी। [Read More Begusarai News in Hindi]
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