
अब अगर हम बात करे १८ जून २०१७ की तो लंदन में हॉकी का भी खेल चल रहा था और क्रिकेट का भी, क्रिकेट के खेल का पूरा प्रशारण देश के सरकरी चैनल यानि की दूरदर्शन पर हुआ और कही भी बीच में एक फुटेज भी हॉकी के लिए नहीं आया, क्यों ? क्या हमारा राष्ट्रिय खेल बदल गया है ? या फिर हमारे लिए देश के सम्मान से ज्यादा पैसा कामना हो गया है।
आप देखिएगा हॉकी के खेल में हमारी टीम जीत गयी है फिर भी देश के खेल प्रेमिओ में कोई उत्साह नहीं है जबकि क्रिकेट में हार गयी है टीम इसलिए घनघोर मातम है, क्यों ? क्युकी हम देशवासिओ ने कभी हॉकी को सम्मान नहीं दिया, देश के मीडिया ने सम्मान नहीं दिया, देश के खेलप्रेमीओ ने भी हॉकी को सम्मान नहीं दिया और ये खेल उपेक्षित सा हो गया है, ऐसा लगता है सम्पूर्ण संसार में एकमात्र क्रिकेट ही है जो महानतम खेल है।
हालत ऐसे है भारत के सभी खेलो का बजट एक तरफ और एकेले क्रिकेट का बजट एक तरफ, मतलब अंग्रेजो की गुलामी की हद देखिएगा, की लोग क्रिकेट के मैच देखने के लिए ऑफिस से बंक मारते है, एक विज्ञापन में दिखाया गया की एक व्यक्ति करोडो का करोबार छोड़ कर बौद्ध भिक्षु बनने ही जा रहा था की उसकी नजर अख़बार पर पड़ी जिसमे क्रिकेट मैच का समय लिखा था, बंदा भाग लिया वहाँ से, मतलब सन्यास की ऐसी की टेसी।
आखिर क्यों हम हॉकी, फ़ुटबाल, कबड्डी, कुश्ती में उतनी रूचि नहीं लेते जितनी क्रिकेट में लेते है, जबकि ये सभी खेल समय खाओ भी नहीं है, क्रिकेट तो बहुत समय लेता है, वैसे हम भारतीओ के पास समय नहीं है, देश के लिए समाज के लिए लेकिन क्रिकेट के समय जैसे माने हम समय से ही चुरा लाते हो, हम देशवासिओ को जल्दी ही अपने राष्ट्रिय खेल के बारे में विचार करना होगा नहीं तो उपेक्षित होकर इसके खिलाडी प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे।
हॉकी में ७ : १ की पाकिस्तान से जीत दिलाने की लिए समस्त टीम को कलप्रेमीओ और देश वशिओ की तरफ से मंगल कामनाये, आप बेहतर करे जल्दी ही पूरा देश आपके साथ होगा।
sir bahut achhi janakri di hai aapne Hindi Numbers 1 to 100
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